आदिवासी नहीं नचेंगे (Adivasi Nahin Nachenge)
Language: Hindi Publication details: Delhi: Rajpal & Sons, 2018Description: 187ISBN:- 9789350642504
- 891.432 SHE
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds | |
---|---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Alliance School of Business | 891.432 SHE (Browse shelf(Opens below)) | Available | A28613 |
Browsing Alliance School of Business shelves Close shelf browser (Hides shelf browser)
No cover image available | No cover image available | |||||||
891.43 TRI कुरुक्षेत्र से राधा के नाम | 891.431 TIW प्रवासी हिन्दी कविताऍं : सॄष्टि और दॄष्टि | 891.4312 ACH 1008 कबीर वाणी ज्ञानमृत | 891.432 SHE आदिवासी नहीं नचेंगे (Adivasi Nahin Nachenge) | 891.433 CHA आनन्द मठ (Anand Math) | 891.433 PRA तितली (Titli) | 891.433 PRE कर्मभूमि (Karmabhoomi) |
आदिवासी नहीं नाचेंगे झारखंड की पृष्ठभूमि पर लिखी कहानियाँ हैं जो एक तरफ तो अपने जीवन्त किरदारों के कारण पाठक के दिल में घर कर लेती हैं, और दूसरी तरफ वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक यथार्थ की ऐसी तस्वीर दिखाती हैं, जो वहाँ के मूल वासियों के प्रति हमारी मानसिकता और व्यवहार पर पुनर्विचार करने को मजबूर करती हैं। झारखंड के आदिवासियों के प्रति लेखक की गहरी संवेदना और वहाँ की ज़मीन से जुड़ाव हर कहानी में दिखता है।
हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर पेशे से डाॅक्टर हैं और झारखंड सरकार में कार्यरत हैं। यह उनकी दूसरी पुस्तक है। उनकी पहली पुस्तक द मिस्टीरियस ऐलमेन्ट आॅफ़ रूपी बस्की को 2014 में ‘द हिन्दू प्राइज’ और ‘क्राॅसवर्ड बुक अवाॅर्ड’ के लिए शाॅर्टलिस्ट किया गया था।
जून 2015 में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित हाँसदा सौभेेन्द्र शेखर की गिनती आज भारत के प्रभावी लेखकों में की जाती है।
There are no comments on this title.