000 02553 a2200181 4500
005 20250311105438.0
020 _a9789389577549
082 _a891.433 PAN
100 _aपाण्डेय, चन्दन (Pandey, Chandan)
245 _aवैधानिक गल्प (Vaidhanik Galp)
260 _aनई दिल्ली (New Delhi)
_bराजकमल प्रकाशन प्रा. लि. (Rajkamal Prakashan Pvt.Ltd.)
_c2020
300 _a139
520 _aगहरी राजनैतिक, सामाजिक पक्षधरता का गद्य होते हुए भी चन्दन का ‘वैधानिक गल्प’ तीव्र आन्‍तरिक भावनाओं और संवेदनाओं का साथ नहीं छोड़ता। इस मुश्किल जगह से रचे जाने के बावजूद कमाल यह भी है कि यह गल्प के पारम्‍परिक तत्त्वों जैसे–रहस्य, रोचकता और अन्तत: पठनीयता को बचाए रखता है। प्यार, क्रूरता और प्रतिरोध चन्दन के यहाँ अपने सूक्ष्म और समकालीन रूपों में प्रकट होते हैं जो न सिर्फ़ चकित करता है बल्कि पाठक की चेतना में कुछ सकारात्मक जोड़ जाता है। —महेश वर्मा चन्दन पाण्‍डेय की लेखकी को समकाल के पूर्ण साहित्यिक विनियोग के रूप में देखा-रखा जा सकता है। चन्दन का कथाकार क़िस्से में ग़ा‌फ़िल नहीं, बल्कि सतर्क व अचूक है, जिससे समकाल के अद्यतन संस्करण का भी प्रवेश उनके कथादेश में सहज ही सम्‍भव है। कहन की साहिबी उन्हें ईर्ष्या का पात्र बनाती है। —कुणाल सिंह
650 _aHindi novel
650 _aHindi literature
650 _aHindi Fiction
942 _cBK
_2ddc
999 _c49605
_d49605