000 | 01730 a2200241 4500 | ||
---|---|---|---|
005 | 20250426190737.0 | ||
020 | _a9788183224352 | ||
041 | _aHindi | ||
082 | _a294.5922 NEE | ||
100 | _aनीलकंठन, आनंद (Neelakantan, Anand) | ||
245 | _aअसुर: पराजितों के गाथा - रावण व उसकी प्रजा की कहानी (Asura: Parajiton Ke Gatha - Ravan Va Uski Praja Ki Kahani) | ||
260 |
_aBhopal _bManjul Publishing House _c2012 |
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300 | _a442 | ||
520 | _aनंबर 1 राष्ट्रीय बेस्टसेलर रहे अंग्रेज़ी उपन्यास के इस हिन्दी अनुवाद में लंकापति रावण व उसकी प्रजा की कहानी सुनाई गई है। यह गाथा है जय और पराजय की, असुरों के दमन की — एक ऐसी कहानी की जिसे भारत के दमित व शोषित जातिच्युत 3000 वर्षों से सँजोते आ रहे हैं। रामायण के उलट, रावणायन की कथा अब तक कभी नहीं कही गई। मगर अब शायद मृतकों और पराजितों के बोलने का वक़्त आ गया है। | ||
600 | _aRavana | ||
650 | _aRamayana | ||
650 | _aHinduism | ||
650 | _aReligion | ||
650 | _aFiction | ||
650 | _aLiterature | ||
700 | _aयामिनी, रचना भोला (Yamini, Rachana Bhola) (Translator) | ||
942 |
_cBK _2ddc |
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999 |
_c50451 _d50451 |